लोग बताते हैं - (STORY) written by Alok Pandey

उस रात चिराग़ बहुत परेशान था, वो रात भर सो नहीं पाया उसने अपने पापा से बात भी नहीं की, जबकि वह पापा को बेइंतेहा प्यार करता था, उस दिन चिराग़ ने खाना भी नहीं खाया...

सुबह उठा नहाया , पूजा पाठ किया और पुराने कपड़े पहन कर अपनी पुरानी बाइक लेकर जिस पर वह हमेशा खुशी के साथ अठखेलियां करता था ,आज वह घर से बहुत ही सीरियस मूड में निकला...

शहर गया ,रास्ते में एक दोस्त भी  मिला ,उसने पीछे से आवाज़ भी दी लेकिन चिराग़ ने आज उसकी तरफ पलट कर देखा भी नहीं और वह एक ग़ुमनाम गली की तरफ मुड़ गया...

कुछ लोग बताते हैं, उसको मेडिकल स्टोर पर कुछ ख़रीदते हुए देखा...


फ्लैशबैक:

एक दिन पहले

सुबह-सुबह चिराग़, अपनी पुरानी फोर व्हीलर लेकर ,बढ़िया सी टीशर्ट और उस पर एक अच्छा सा ट्राउज़र, गले में उधार की मांगी हुई  सोने की चैन और अपने बालों को क़रीने से बनाकर ,शहर की तरफ चला गया....

उसके जानने वालों में किसी की शादी थी...

लोग बताते हैं ,उस दिन उस में एक अजीब सा तेज़ था, ललाट अलग तरीके से चमक रहा था..

शायद किसी लंबी यात्रा की तैयारी कर रहा था या कुछ और या  पता नहीं...

भाग भाग कर वो उस  शादी में काम कर रहा था, शादी उसके किसी अपने की थी...

बार-बार गाड़ी से जाता ,कभी किसी मेहमान को लेकर आता कभी फल फूल लेने चला जाता ,कभी कुछ लेने चला जाता तो कभी किसी काम से..

उसके बाद वरमाला का समय आ गया, चिराग़ की बेचैनी बढ़ने लगी, उसको लगा था, शायद उसकी बेचैनी उसके चेहरे पर नहीं आएगी, लेकिन वह खुद को संभाल नहीं पाया, उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था ,वहां पर उपस्थित सारे लोग उसकी तरफ आक्रोष के साथ बढ़ने लगे , चिराग़ ज़िद करने लगा ,ज़िद अपनी उम्मीद की , ज़िद जिंदगी की ,ज़िद सच्चाई की .. उसके लिए ,सबके लिए, यह सिर्फ़ अपने लिए या इस समाज के लिए.

 क्या थी वो ज़िद, क्यों थी ,ना वो कभी समझा पाएगा और ना मैं समझ पाऊंगा.... वहां कुछ बहुत ग़लत हुआ


लोग  बताते हैं..

ऐसा हुआ, वैसा हुआ....

लेकिन बहुत कुछ ग़लत हुआ...

शायद बहुत ग़लत...

वह कुछ चाहता था ,उसको चाहने से रोका गया...

उसके साथ ज़बरदस्ती की गई...

उसकी सांसों को ज़बरदस्ती रोकने की कोशिश की गई...

उसने संघर्ष भी किया होगा शायद

लोग बताते हैं...


ख़ैर 

शायद मामला शांत हुआ होगा

और वह देर रात घर लौट आया....


कट टू...

वर्तमान...


रात भर चिराग़ बहुत परेशान था .

उस रात उसने खाना भी नहीं खाया...

सुबह उठा ,शहर गया ,शहर से कुछ लेकर आया...

ऐसा सब लोग बताते हैं...

उसको लाने के बाद, वह चला गया ..कहीं दूर बहुत दूर...


चिराग़ ने आत्महत्या की थी. अवसाद में था ,परेशान था किसी से प्यार कर बैठा था ,सच्चा प्यार या पता नहीं...

लेकिन चिराग़ तुमको पता है, तुम्हारे ऐसा करने के बाद भी कुछ भी नहीं बदला है ...


सब कुछ वहीं का वहीं है , सिर्फ़ तुम नहीं हो, तुमको लगता होगा, जिस समय तुमने यह डिसीज़न लिया कि मैं ऐसा कर लूंगा तो सब कुछ सही हो जाएगा ,कुछ सही होने वाला नहीं था, चिराग़ तुमको यह जानना चाहिए उसके बाद हालात और ख़राब हो गए तुम्हारी मां की तबीयत बिगड़ गई उनकी आंखों की रोशनी ना के बराबर हो गई , सिर्फ़ तुम्हारे जाने के सदमें में रोते रोते .


तुमको आकर आधी रात को उनकी कराह सुननी चाहिए आज भी...

तुमको आकर अपने पापा की पथराई आंखों का सामना करना चाहिए, तुमको आकर तुम्हारे प्यारे कुत्ते चंपू की भी गीली आंखें देखनी चाहिए...

अरे हां उससे  तो तुम्हारी बात होती ही होगी ..

वह दिन ,रात उसी जगह पर रहता है ,जहां पर तुम को अलविदा कहा गया है..

शायद वह वापस नहीं आएगा, ऐसा लोग बताते हैं.

 वह भी पागल हो गया है..

मुझे लगता है ,तुम समझ सकते होगे कि जब एक जानवर तुम्हारी याद में पागल हो सकता है, तो इंसानों का क्या होगा वह ख़ुश तो नहीं होंगे...

और  अगर तुमको लगता है, कि तुम यही चाहते थे, तो यह सारी ख़ुशियां तुमको मुबारक़...


और सुनो ...

तुम्हारे पिता हो गए ,पत्थर की तरह ख़ामोश.. तुम्हारा परिवार बिखर गया चिराग़... तुमको यह जानना चाहिए 

यह कोई रास्ता नहीं था, तुम को समझना चाहिए....

मैंने तुमको समझाया भी था ,लेकिन तुम शायद समझना नहीं चाहते थे...तुम कहीं और जाना चाहते थे.


 तुमने फ़ैसला कर लिया था ,और तुम वहीं गए...

मैं कुछ नहीं कहना चाहता.. तुमसे ...


तुम्हारी जिंदगी थी ,तुमको हक़ था ,उसके साथ कुछ भी फ़ैसला लेने का ,लेकिन मैं तुमको यह भी बताना चाहता हूं कि उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ा समय को...


 हां शायद तुम दूसरा फैसला लेते तो उससे बहुत कुछ फ़र्क पड़ सकता था ..शायद तुम्हारे सपने सच हो जाते ...तुम जो एक स्मार्टफोन लेना चाहते थे ,वह तुम ख़रीद लेते .. तुम जो एक नई गाड़ी लेना चाहते थे ...वह तुम ले लेते ...तुम जो दुनिया घूमना चाहते थे ,वह घूम लेते...

वास्तव में बहुत कुछ पा सकते थे, जो तुमने खो दिया...

और हम सब ने भी खो दिया...

तुमने उसको चुना...

जिसने तुम को चुनने के बाद भी ,तुमको चुन नहीं पाया ,खो दिया...

तुम बहुत अच्छे थे...

शायद तुम ज़्यादा परेशान हो गए थे, ऐसा लोग बताते हैं...

लोग आज भी वही हैं ,लेकिन तुम नहीं हो ,तुमको होना चाहिए था.

ख़ैर

ख़त मिले तो जवाब ज़रूर देना 

लेकिन शायद जवाब होगा नहीं तुम्हारे पास ...

होना चाहिए था ....

लोग बताते हैं


- आलोक  पाण्डेय